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किसानों के लिए उठाए गए जरूरी कदम, सैटेलाइट के माध्यम से फसलों की होगी पहरेदारी; पढ़िए पूरी ख़बर

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सैटेलाइट के माध्यम से बिहार में मौजूद खेतों में लगे फसलों की पहरेदारी की जाएगी। इसके साथ ही किसानों को रियल टाइम एडवाइजरी भी उपलब्ध कराया जाएगा। इसका उद्देश्य खेतों में लगी फसलों के नुकसान को कम करना है और साथ ही उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है। किसानों को आसानी से खेतों की मिट्टी, फसल, बीमारी, मौसम व रियल टाइम प्रबंधन के संबंधित जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत इस प्रोजेक्ट पर कार्य किया जाना है। इस प्रोजेक्ट की तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है और जल्द ही ट्रिपल आईटी के साथ समन्वय कर बिहार कृषि विश्वविद्यालय इस प्रोजेक्ट का कार्य शुरू करेगी। इसी महीने ही इसके प्रोजेक्ट के लिए समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया जाएगा। माना जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट के सफल होते ही बिहार कृषि के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति लाने का काम करेगा।

प्रत्येक दस दिनों पर बीएयू के वैज्ञानिक सैटेलाइट के माध्यम से फसलों में होने वाले बदलाव का डाटा तैयार करेंगे। इन सैटेलाइट में इंफ्रारेड और थर्मल कैमरा का प्रयोग किया जाएगा। यह इंफ्रारेड और थर्मल कैमरा कीड़े–मकौड़े लगने से, बायोटिक सूखा या बाढ़ की वजह से फसलों में बदलाव की जानकारी प्राप्त करने में सहायक होगा। ट्रिपल आईटी की मदद से इस रिपोर्ट को आसानी से किसानों को दी जायेगी। इसके लिए वैज्ञानिक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से एक विंडो को डिजाइन करेगा जिससे किसानों को सारी जानकारी मिल जाएगी।

पहले चरण में 25 लाख किसानों को इस योजना से जोड़ा जाएगा और प्रोजेक्ट के सफल होते ही बिहार के साथ पूरे देश में इसे लागू किया जाएगा। बीएयू द्वारा उपलब्ध कराए गए डाटा पर ट्रिपल आईटी के निदेशक प्रो. अरविंद चौबे ने कहा कि इस डाटा पर काम किया जाएगा। समझौता होने के पश्चात इस दिशा में काम तेजी से शुरू कर दिया जाएगा।

प्रो. संदीप राज ने बताया कि इसमें रियल टाइम रिपोर्ट की भी जानकारी उपलब्ध रहेगी। इससे किसानों को उनकी फसलों में लगे कीड़े तथा उसे मरने से संबंधित जानकारी दी जायेगी जिससे किसानों को काफी मदद मिलेगी। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर इसमें भाषा को फीड करने की तैयारी है। मिली जानकारी के अनुसार कीट प्रबंधन और मौसम में बदलाव के कारण बिहार में फसलों का काफी नुकसान होता है।