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इस आईएएस ऑफिसर के सादगी की होती है चर्चा, समस्तीपुर डीएम के बारे में जानिए

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हम बात कर रहे हैं समस्तीपुर के जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह के बारे में। समस्तीपुर आने से पहले वे नालंदा में डीएम के पोस्ट पर कार्यरत थे। अपनी सादगी की वजह से वे लोगों के बीच चर्चा में रहते हैं। उनका जब ट्रांसफर हुआ तो वह आम लोगों की तरह लाइन में रहकर ट्रेन की टिकट ली और श्रमजीवी ट्रेन में बैठकर पटना आ गए।

योगेंद्र सिंह उत्तर प्रदेश के उन्नांव जिले के हरिपुर के रहने वाले हैं। वे एक तेजतर्रार व विकास के लिए हमेशा अग्रसर रहने वाले अधिकारी हैं। जू सफारी के फाइनल टच देने तक में अहम भूमिका निभाई। वे लगभग 35 महीने तक नालंदा के डीएम के रूप में रहे। नालंदा जिला गठन के बाद योगेंद्र सिंह 37वें जिलाधिकारी थे।

योगेंद्र सिंह 2012 में आईएएस अधिकारी के पद पर आए। उससे पहले वे पटना सिटी के एसडीओ, बेतिया के उप विकास आयुक्त और शेखपुरा के जिलाधिकारी रहे।
योगेंद्र सिंह का जन्म 1990 में हुई थी। उन्होंने 10वीं की पढ़ाई विवेकानंद इंटर कॉलेज और 12वीं की पढ़ाई बीएन इंटर कॉलेज से किया। उसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय से बीए और दिल्ली के जेएनयू से एमए की पढ़ाई पूरी की।

साल 2002 में कैंसर की वजह से उनके पिता की मौत हो गई। उनकी मां श्यामा देवी ने उनके पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाई। लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से योगेंद्र ने लखनऊ में ही अपनी पढ़ाई करने के साथ बच्चों को कोचिंग देना शुरू कर दिया। उसके बाद सिविल परीक्षा की तैयारी शुरू की और 2012 में आईएएस चुने गए और उन्हें बिहार कैडर मिला।

फिर साल 2018 में पुरवावां जिला हरदोई की निवासी नेहा के साथ उनकी शादी हो गई। उनकी मां और पत्नी योगेंद्र के साथ ही रहती है। उनका एक बेटा भी है नेयस। हरईपुर गांव में उनका पैतृक घर है।

हाल ही में वे अपने चचेरे भाई आशू की शादी में गए हुए थे। वहां के लोगों के बीच भी वे चर्चे में रहे। युवाओं के लिए वह एक प्रेरणाश्रोत है।

2012 में योगेंद्र सिंह ने सिविल सर्विसेज की परीक्षा दी और ऑल इंडिया 28वां रैंक हासिल किया। योगेंद्र सिंह ने समस्तीपुर जिले में चल रहे विकास कार्य में गति देने की बात कही है।