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अंग्रेजी के नाम पर सिर्फ Yes और No बोलने वाले बिहार के इस लाल ने ब्रिटेन में ऐसे खड़ा किया अपना साम्राज्य! पूरी डिटेल

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सेमीकंडक्टर चिपसेट की कमी से ग्लोबल स्केल पर इलेक्ट्रॉनिक्स तथा ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को घाटा हो रहा है। बीते बेहद वक्त से सेमीकंडक्टर चिपसेट की कोताही बनी हुई है। ऐसे में पिछले दिनों वेदांता लिमिटेड तथा इलेक्ट्रॉनिक्स को बनवाने की अग्रणी कंपनी फॉक्सकॉन गुजरात में सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट से एस्टेब्लिश करने डिस्प्ले एफएबी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगवाने के हेतु गुजरात गवर्नमेंट के सहित अनुमानित ज्ञापन पर सिग्नेचर किए हैं। वेदांता इस प्रोजेक्ट में 1,54,000 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट करेगी। वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल द्वारा ट्वीट करके उस उपलक्ष्य में इनफॉर्मेशन दी गई थी। परंतु क्या आपको मालूम है कभी बिहार में निवासी वेदांता कंपनी के चेयरमैन इंग्लिश के नाम पर केवल यस और नो कहना ही जनता था। ऐसे में किस प्रकार से उन्होंने ब्रिटेन में उतना बड़ा राजस्वा खड़ा किया। चलिए आपको जानकारी देते हैं अनिल अग्रवाल किस प्रकार से पहुंचे शिखर पर।

कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो अपनी नियति को स्वयं ही लिखते हैं। उन्हीं में से एक हैं वेदांता सोसाइटी के प्रमुख अनिल अग्रवाल। बिहार से लंदन वाया मुंबई का यात्रा अनिल अग्रवाल ने कैसे तय किया, उन्होंने स्वयं आवागत करवाया। अनिल अग्रवाल ने ट्विटर के जरिए से बताया कि कैसे वे 2003 में अपनी कंपनी वेदांता को लंदन स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड करवाने वाले पहले इंडियन बने। यही नहीं, अग्रवाल द्वारा यह भी बताया गया कि उन्होंने ‘रातोंरात’ लंदन जाने का निर्णय किस लिए लिया था।

बिहार की कैपिटल पटना में जन्मे तथा पले-बढ़े अनिल अग्रवाल ने मिलर हाई स्कूल से पढ़ाई की। कहा जाता है कि वह अपने पिता के उद्योग को आगे बढ़ाने के हेतु 15 वर्ष की आयु में ही स्कूल छोड़ दिया था तथा बिहार से फर्स्ट टाइम वे बाहर निकले। पहले पुणे, फिर मुंबई आ गए। कहा जाता है कि उन्होंने आपने करियर स्क्रैप डीलर के माध्यम पर आरंभ किया। उसके उपरांत मेटल तथा तेल एवं गैस के बिजनेस से कनेक्टेड गए। वर्ष 1970 में सेक्रैप मेटल का कार्य आरंभ किया तथा 1976 में शैमशर स्टेर्लिंग कॉर्पोरेशन को खरीदा।

वेदांता कम्युनिटी के प्रमुख अनिल अग्रवाल द्वारा बताया गया कि उस समय लंदन स्टॉक एक्सचेंज ( LSE ) में ग्लोबल कंपनियां लिस्टेड की जा रही थीं। एवं मैं उनमें से एक बनना चाहता था। रियलिटी में, मैंने सबसे बड़ा होने का सपना देखा था, उसके हेतु लंदन जाने का निर्णय किया था।

अपनी पत्नी को अपना सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम बताते हुए अनिल अग्रवाल कहते है कि मैंने किरण से बोला कि हम लंदन जा रहे हैं। तब वह हमारी बेटी प्रिया के स्कूल गई तथा उनसे 6 माह की छुट्टी मांगी, इसलिए क्योंकि उसे विश्वास था कि हम तब तक रिटर्न आ ही जाएंगे। उसने अब भी बिना किसी शंका के सब कुछ पद्धतिबद्ध किया। अनिल अग्रवाल द्वारा बताया गया कि उन्होंने अधिक पैक नहीं किया परंतु अपनी मां के पराठे तथा बाबूजी के शॉल को, उनके आशीर्वाद के स्वरूप में ले जाने में सफल रहा।

लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर उतरने के उपरांत के अपने एक्सपेरिंक्स को याद करते हुए अनिल अग्रवाल ने कहा कि एयरपोर्ट से बाहर निकले के उपरांत यह एक अलग दुनिया के जैसे लगा, अलग-अलग भिन्न भिन्न लहजे वाले फॉरेन लोग, ठंड तथा बरसात का मौसम, बड़ी सफेद पहाड़। मुझे हर किसी की याद दिला दी, उन्होंने मुझसे बोला था कि छोटी चिड़िया बड़े आकाश में नहीं उड़ती। मुझे लंबे वक्त के उपरांत डर महसूस हुआ।

उसके बाद उन्होंने बताया कि लंदन पहुंचने पर मेरे पास बहुत कुछ तो नहीं था, परंतु मेरे पास एक चीज थी। मेरे गाइडेंस, मेरे माता-पिता का यकीन तथा आशीर्वाद। उसके हेतु मैं यहां अपनी पत्नी एवं बच्चों के सहित जीवन की उस नए सफर यात्रा का आनंद ले रहा था। पिछले माह लंदन में ऑक्सफोर्ड यूनियन में स्टूडेंट्स के सहित वार्तालाप में अनिल अग्रवाल ने उन्हें बड़े सपने देखने के हेतु इंस्पायर्ड किया, क्योंकि उन्होंने अपनी उद्यमशीलता एंटरप्नेयरशिप के सफर से महत्वपूर्ण सीख साझा की।

गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल के अनुसार, दोनों कंपनियां गुजरात में यह प्लांट लगवाने पर 1,54,000 करोड़ रुपये का इन्वेस्ट करेंगी। उस व्यवस्था से एक लाख रोजगार के मोका पैदा होंगे। उन्होंने उस अवसर पर बोला, “यह प्रोजेक्ट इंडिया में एक मजबूत मैन्युफैक्चरिंग बेस निर्माण के हेतु PM मोदी के दृष्टिकोण को पूर्ण करने में सहायता करेगी।