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BIHAR

JEE Mains करने के बावजूद नहीं जा सकी IIT, बिहार के छात्रों को दे रहीं JEE और NEET की कोचिंग

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आज भी कई ऐसे लोग हैं जो अपने सपने को पूरा नहीं कर पाते हैं। ऐसी ही कहानी बिहार के पटना शहर की रहने वाली निभा शर्मा की है। दरअसल निभा का सपना आईआईटी जाने का था परंतु ऐसा नहीं हो सका। इसके बावजूद सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ीं उनके जैसे इंजीनियर और डॉक्टर बनने का सपना देखने वाले अन्य कई युवाओं को शिखा देती हैं। निभा ने जेईई मेंस की परीक्षा में सफल हो गई थी परंतु 8 अंक की वजह से जेईई एडवांस में असफल रहीं। इसकी वजह से वह काफी निराश भी हुई।

निभा की उम्र 24 वर्ष है। फिलहाल वे युवा छात्राओं को आईआईटी और जेईई की शिक्षा दे रहे हैं ताकि जो उनके साथ हुआ अन्य किसी के साथ न हो। निभा प्रतिदिन उन छात्रों के साथ 8 से 10 घंटे का समय व्यतीत करती हैं। इसका उद्देश्य उनकी प्रवेश परीक्षा नीट और जेईई की तैयारी में मदद करना है।

निभा ने अपने तैयारी के बारे में बताते हुए कहा कि लड़कियों के लिए यहां से बाहर जाकर पढ़ना थोड़ा मुश्किल है। उनके परिवार ने भी निभा को एक मौका दिया था परंतु वह सफल नहीं हुई। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने की वजह से उन्हें तैयारी छोड़नी पड़ी। साथ ही उन्होंने कहा कि परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी होने के साथ लड़कों की तरह ही लड़कियों को सामान रूप से देखा जाता तो वह अपने सपने को पूरा कर रही होती।

निभा ने पटना साइंस कॉलेज से रसायन विज्ञान क्षेत्र में बीएससी और एमएससी की पढ़ाई पूरी की और डिग्री हासिल को। इसके साथ ही इन दोनों डिग्री के लिए उन्हें स्वर्ण पदक दिया गया है। निभा में बताया कि उनकी कक्षा में क्लास में लड़के और लड़कियों का अनुपात 60:40 है।
लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या फिलहाल के लिए कम हैं। आंकड़ों के अनुसार साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स के क्षेत्र में ज्यादा लड़कियां दिखाई दे रही हैं। उनके अनुसार समाज का नजरिया बदल रहा है और माता-पिता ज्यादा से ज्यादा लड़कियों को STEM कोर्स चुनने के लिए समर्थन दे रहे हैं।

उनकी कक्षाओं में भी ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियां पढ़ाई करती हैं जिसके लिए यह प्रथम और अंतिम प्रयास है। निभा कहती हैं कि वह इन लड़कियों को ऊपर उठाने के लिए एक प्वाइंट बनाती हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें छात्रों को पढ़ाना पसंद है लेकिन उनका लक्ष्य बड़ा है। निभा प्रातः 8 बजे से रात्रि 9 बजे तक पढ़ाती हैं। इन छात्रों को जीवन में कुछ हासिल करते हुए देखना अच्छा लगता है। निभा पीएचडी करने की इच्छा रखती हैं।

निभा फिलो ट्यूटर नाम के प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन पढ़ाती हैं। उन्होंने कहा मैं बिहार में बैठकर लद्दाख से लेकर महाराष्ट्र तक के राज्यों के छात्रों को पढ़ाती हूं। ऑनलाइन मोड ने छात्रों के लिए अब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करना आसान बना दिया है। यह छात्रों को आईआईटी जेईई और नीट जैसी कठिन परीक्षाओं में अच्छा करने का बेहतर मौका देता है।