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खेतों में किया काम, पढ़ाई के लिए 6 किमी चलीं पैदल, जुड़वां बच्चों की मां हैं ये आईपीएस अफसर

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संघर्ष करके ही आदमी मजबूत बनता है। ऊंचाइयों को छूने के लिए हर किसी को संघर्ष करना पड़ता है। राजस्थान की रहने वाली आईपीएस अधिकारी सरोज कुमारी ने अफसर बनने के लिए खूब मेहनत की। यूपीएससी एग्जाम का उनका सफर आसान नहीं था। सरोज कुमार की स्टोरी यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों को प्रेरणा देती है।

सरोज कुमार की गिनती आज देश की चर्चित आईपीएस ऑफिसर्स में होती हैं। उन्होंने वह दौर भी देखा है जब छोटी-छोटी खुशियों और मामूली सुविधाओं के लिए तरसना पड़ा था। उस समय किसी ने सोचा नहीं होगा कि एक दिन हर किसी की जुबान पर उनका नाम होगा। सरकारी स्कूल से पढ़ाई से लेकर आईपीएस अधिकारी बनने तक की कहानी युवाओं के लिए प्रेरणा है।

राजस्थान के झुंझुनू जिले के बुडानिया गांव में जन्मी सरोज के पिताजी सेना से रिटायर्ड हवलदार थे, परंतु उनकी पेंशन काफी कम थी। परिवार चलाने में साथ देने के लिए उन्होंने फैमिली के साथ खेती में हाथ भी बंटाया। सरोज ने आठवीं वर्ग तक की पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल की।

गांव में रहकर आगे की पढ़ाई संभव नहीं था, लिहाजा उन्होंने नजदीक के गांव अलीपुर के सरकारी स्कूल में दाखिला लिया था। इस स्कूल की दूरी उनके गांव से 6 किलोमीटर थी। वहां तक जाने के लिए कोई सुविधा नहीं थी। इसलिए प्रतिदिन सरोज 6 किलोमीटर पैदल चलकर अपने विद्यालय जाती थीं। इन संघर्ष के बीच उन्होंने इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा में टॉप किया।

सरोज को पढ़ने-लिखने में खूब मन लगता था। इंटर में टॉप करने के बाद उन्होंने महारानी कॉलेज, जयपुर में दाखिला लिया। वहां से पढ़ाई कंप्लीट करके वह लिखकर बनी लेकिन अब उनकी जिज्ञासा सिविल सर्विसेज में हुई थी। यूपीएससी एग्जाम में कुछ नंबर से चूक जाने के चलते उन्हें गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी की नियुक्ति मिली थी।