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भारत में यहाँ बन रहा है दुनिया का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे, लगेगा 80 लाख टन सीमेंट और 50 हावड़ा ब्रिज के बराबर स्टील।

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विश्व का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे इंडिया में निमार्ण हो रहा है। 1380 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे देश की राजधानी नई दिल्ली को फाइनेशियल कैपिटल मुंबई से कनेक्ट करेगा। यह 6 राज्यों दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात तथा महाराष्ट्र से होते हुए जाएगा। उससे दिल्ली से मुंबई का यात्रा करने में 12 घंटे ही लगेगा । अभी इन दोनों नगरों के मध्य सफर करने में 24 घंटे का वक्त लगता हैं। यह एशिया का पहला ऐसा हाईवे हैं उसको बनवाने में वन्यजीवों के हेतु ग्रीन ओवरपास की व्यवस्था दी जाएगी। अभी यह एक्सप्रेसवे 8 लेन का है। परंतु आने वाले दिनों में उसे 12 लेन का करवाया जा सकता है। उस पर 120 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से गाड़ियां फर्राटा भरेंगी। उसके सहित ही इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का भी डेवलपमेंट करवाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि यह एक्सप्रेसवे सही मायनों में देश की प्रगति प्रोग्रेस का एक्सप्रेसवे साबित होगा।

इस एक्सप्रेसवे को भारतमाला प्रोजेक्ट के पहले लेवल के भाग के स्वरूप में निर्माण करवाया जा रहा है। एक्सप्रेसवे का बनवाने का कार्य पूर्ण होने से जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, कोटा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, अहमदाबाद, वडोदरा प्रकार के फाइनेशियल सेंटर से कनेक्टिविटी में संशोधन होगा। उससे इन नगरों में फाइनेशियल एक्टिविटीज को बल मिलेगा। कहा जा रहा है कि यह एक्सप्रेसवे मार्च 2023 में बनकर निर्माण हो जाएगा। इस एक्सप्रेसवे पर हैलीपैड भी निर्माण करने की प्लान है। उससे दुर्घटना की परिस्थिति में पीड़ितों को शीघ्र से शीघ्र हॉस्पिटल लाया जा सकेगा। इस एक्सप्रेसवे के दोनों एवं इंडस्ट्रियल कॉरिडोर निर्माण की भी प्लान है। पिछले माह रोड ट्रांसपोर्टेशन मिनिस्ट्री नितिन गडकरी द्वारा यह दावा किया गया था कि उसका 70% काम पूर्ण किया जा चुका है।

दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे की आधारशिला 9 मार्च 2019 को रखी गई थी। यह एशिया का पहला एवं दुनिया का दूसरा एक्सप्रेसवे है जहां वन्य जीवों के हेतु ओवरपास की व्यवस्था दी गई है। उसके निर्माण में 12 लाख टन स्टील का उपयोग होगा जो 50 हावड़ा ब्रिज के सामान्य है। उसके सहित ही उसमे 35 करोड़ क्यूबिक मीटर मिट्टी एवम 80 लाख टन सीमेंट का उपयोग होगा। यह सीमेंट देश की वार्षिक प्रोडक्शन कैपेसिटी के 2% के सामान्य है। उसके निर्माण पर तकरीबन एक लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का संभावना है।

यह एक्सप्रेसवे एक्सेस कंट्रोल है। उसका अर्थ है कि हाईवे के सेंटर में एक ओर से दूसरी ओर कोई भी आ जा नहीं सकेगा। एक्सप्रेसवे का निर्माण पूर्ण होने के उपरांत फ्यूल की खपत में 32 करोड़ लीटर की कमी भी आएगी। सहित ही कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) प्रोडक्शन में 85 करोड़ किलोग्राम की कमी आएगी जो कि 4 करोड़ पेड़ लगाने के सामान्य है। यह पर्यावरण के हेतु बेहद लाभदायक होगा। हाइवे पर हर 500 मीटर पर रेन वॉटर हार्वेसटिंग सिस्टम होगा। सहित ही एक्सप्रेसवे के दोनों ओर 40 लाख पेड़ लगाए जाने का प्लान है।

यह एशिया का पहला ऐसा हाईवे हैं उसको बनवाने में वन्यजीवों के हेतु ग्रीन ओवरपास की व्यवस्था दी जाएगी। उसके तहत 8 लेन की दो सुरंग तैयार करवाई जाएगी। उनमें से एक सुरंग पहले राजस्थान के मुकुंदरा सेंक्चुरी के नीचे से तैयार करवाया जा रहा है। दूसरी सुरंग महाराष्ट्र के माथेरान ईको सेंसिटिव जोन में तैयार करवाई जाएगी। उसकी लंबाई भी 4 किमी है। सेंट्रल मिनिस्टर नितिन गडकरी द्वारा बताया गया कि यह एक्सप्रेस-वे मुकंदरा एवं रणथंभौर से होकर जाएगा।। ऐसे में वन्यजीवों किसी भी तरह की दिक्कतें नहीं हो उसके हेतु साइलेंट कॉरिडोर लाया जा रहा है।

बूंदी-सवाईमाधोपुर के मध्य वर्ल्ड का दूसरा बड़ा ग्रीन ओवरपास जंगल, वन्यजीवों के सिक्योरिटी को लेकर साढे तीन किमी के अंतराल में 5 ग्रीन ओवर पास को बनवाया जा रहा हैं। यह ओवर पास रणथंभौर नेशनल पार्क, बूंदी रामगढ टाइगर रिजर्व तथा कोटा मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के सेंटर से कोरिडोर पर निर्माण करवाया जाएगा। इन 3नों नेशनल पार्क में वन्यजीव सरलता से आ जा सकते हैं। उसके सहित ही 4 किमी पर टनल मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बनवाया जा रहा हैं।

अभी यह एक्सप्रेसवे 8 लेन का है। परंतु आने वाले दिनों में उसे 12 लेन का करवाया जाएगा। उस हाईवे के मध्य में 21 मीटर चौड़ी स्थान छोड़ी जा रही है। ट्रैफिक जाम बढ़ने पर उसमे दोनों तरफ 2-2 लेन और निर्माण करवा दी जाएंगी। गडकरी ने बताया है कि देश में एक हाईवे ऐसा हो जो इलेक्ट्रिक हो। ऐसे में उस हाईवे को इलेक्ट्रिक हाईवे निर्माण करवाया जाएगा ताकि ट्रेनों की तर्ज पर बस एवं ट्रक भी इलेक्ट्रिक जरिए से चल सके। गडकरी का दावा है कि पूरे विश्व में इतना लंबा 12 लेन का हाईवे कहीं नहीं है।

यह एक्सप्रेसवे कई प्रकार की ज्योग्राफिकल एरिया से गुजर रहा है। कहीं जंगल है तो कहीं मरुस्थल, पहाड़, तथा नदियां। इस एक्सप्रेसवे की एक विशेषताएं यह भी है कि इस पर 94 वे साइड एमेनिटीज निर्माण करवाई जा रही हैं। उनमें पेट्रोल पंप, मॉटेल, रेस्ट एरिया, रेस्टोरेंट्स तथा दुकानें होंगी। उनमें हेलीपैड की भी व्यवस्था भी होगी। उस एक्सप्रेसवे का 160 किलोमीटर का भाग हरियाणा में, 374 किलोमीटर का भाग राजस्थान में, 245 किलोमीटर का भाग मध्य प्रदेश में तथा 423 किमी लंबा भाग गुजरात में होगा।