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बिहार चुनाव से पहले दागियों को लॉकर चुनाव आयोग का बड़ा फैसला!

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बिहार विधानसभा (Assembly Election) के चुनाव (Election) में दलों को यह बताना होगा कि जिनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे लंबित हैं उन्हें प्रत्याशी क्यों चुना. दलों को बाजाप्ता अखबार में यह सूचना प्रकाशित करानी होगी. चुनाव आयोग (Election) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के मद्देनजर सभी मान्यता प्राप्त दलों के लिए यह प्रावधान लागू कर दिया है. बिहार में 150 रजिस्टर्ड दलों को निर्वाचन विभाग ने चिट्ठी लिखी है. जिनका मुख्यालय पटना है. राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त 2543 दलों को पत्र लिखा गया है. मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों को सीधे चुनाव आयोग की ओर से पत्र जारी किया गया है.

निर्वाचन विभाग के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया है जिसके आलोक में आयोग ने यह व्यवस्था इस चुनाव में पहली बार लागू की है. इसके तहत कोई भी दल अगर किसी ऐसे व्यक्ति को अभ्यर्थी चुनता है जिसके खिलाफ आपराधिक मामला लंबित है तो उसको यह बताना होगा कि उसे उसने कैंडिडेट क्यों चुना.

चुने जाने के 48 घंटे के भीतर फॉर्मेट सी 7 में उसे समाचार पत्रों में सूचना देनी होगी. यह सूचना राज्य और राष्ट्रीय अखबार में देनी होगी. साथ ही सूचना प्रकाशित करने के 72 घंटे के अंदर आयोग को फॉर्मेट सी 8 में बताना होगा.  इसमें प्रावधान है कि अगर कोई दल इस आदेश का पालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कंटेम्प्ट प्रोसीडिंग चलाई जाएगी.

निर्वाचन विभाग के अनुसार बिहार में 150 राजनीतिक दलों को चिट्ठी जारी की गई है जिनका मुख्यालय पटना है. इनमें से 20 राजनीतिक दलों के मुख्यालय के पते से चिट्ठी वापस हो गई है. चुनाव आयोग ने इसे बेहद गंभीरता से लिया है. इसके लिए डीएम को कहा गया है कि वे अपने स्तर से इस पत्र का तामिला कराएं. आयोग के इस निर्देश के बाद राजनीतिक दलों के लिए दागी प्रत्याशियों को चुनना मुश्किल होगा.