BIHAR
बिहार के रहने वाले विनय ने नौकरी के साथ बैरक में की पढ़ाई, पुलिस कांस्टेबल से बने वन विभाग में अधिकारी।
एक दोहा हर उस युवक को स्मरण करवाया जाता है जो उसके जोश और हिम्मत को बढ़ावा देता है। वो दोहा है- ‘करत करत अभ्यास के जडमति होत सुजान, रसरी आवत जात ते, सिल पर पड़त निशान’। मतलब की संक्षिप्त रूप में बताया जाए तो परिश्रम करने वाले एकदिन आवश्य कामयाब होते हैं। ठीक इसी प्रकार से ऐसा ही कर दिखाया है बिहार के नालंदा के रहने वाले विनय कुमार द्वारा जो भागलपुर में आरक्षक के तौर पर तैनात हैं एवं अब फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में ऑफिसर बनने में कामयाब हो गए है।
जिला बल भागलपुर में बीते 7 वर्षो से बतौर कांस्टेबल तैनात नालंदा जिला के निवासी विनय कुमार द्वारा अपनी कठिन परिश्रम और लगन से ऑफिसर बनने का लक्ष्य पूर्ण किया। 3 बार बिहार पुलिस दारोगा एग्जाम में नाकामयाब होने के उपरांतभी उन्होंने आपनी हिम्मत नहीं हारी तथा आपने हार्ड वर्क के बौदौलत फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर की एग्जाम को पास किया है।
विनय कुमार को मिली उस कामयाबी के उपरांत भागलपुर के सिटी SP स्वर्ण प्रभात द्वारा उन्हें अपने ऑफिस में बुलावा कर मुंह मीठा करवाया एवं हिम्मत बढ़ाया। उन्होंने अन्य पुलिसकर्मियों को भी उसी तरह कठिन परिश्रम करने के हेतु प्रेषित किया।
मिली सूचना के मुताबिक विनय कुमार मूल रूप से नालंदा जिला के थरथरी थाना इलाके के निवासी हैं। उनके पिता का नाम बाल गोविंद प्रसाद तथा उनके मां का नाम गीता देवी है। विगत साल 2015 में उन्होंने बिहार पुलिस कांस्टेबल एग्जाम में सफल हो कर बिहार पुलिस में भर्ती हुए थे। उसके उपरांत उनकी डेपुटेशन भागलपुर जिला बल में की गयी थी। पिछले 7 वर्षो से भागलपुर में ही डेप्यूटेड हैं।
विनय के सहित निवास करने वाले उनके साथी सिपाही विकास कुमार द्वारा बताया गया कि अपनी ड्यूटी पूरी करने के उपरांत विनय अपने बैरक में आकर घंटों पढ़ाई करते थे। एवं अन्य साथियों को भी पढ़ाई कर ऑफिसर एग्जाम देने के लिये प्रेरित करते थे। उनके। द्वारा बताया गया कि विनय की कम्याबी में उनके साथ निवास करने वाले साथियों का भी बड़ा साथ है। उनके ड्यूटी से लौटने के उपरांत उन्हें अधिक दिक्कतें न हो उसके हेतु वे लोग उनका खाना लाकर उन्हें देते थे।