BIHAR
बिहार के किसानों के लिए नई सौगात, बरौनी खाद कारखाना में यूरिया का उत्पादन हुआ शुरु।
बिहार के बरौनी प्लांट में यूरिया के उत्पादन की शुरुआत कर दी गई है। बरौनी प्लांट में यूरिया उत्पादन की शुरुआत होने से बिहार, यूपी, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और पश्चिम बंगाल के साथ अन्य राज्यों में यूरिया की आपूर्ति शुरू हो जाएगी। केंद्र सरकार की ओर से हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड के बरौनी प्लांट का पुनः निर्माण किया गया है। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया द्वारा ट्विटर के माध्यम से इस बात की जानकारी दी। अत्याधुनिक गैस आधारित बरौनी प्लांट सरकार द्वारा फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर्स कॉरपोरेशन लिमिटेड की बंद पड़ी यूरिया इकाइयों को पुनर्जीवित करने की एक पहल का हिस्सा है।
सरकार की ओर से एफसीआईएल और एचएफसीएल की बंद इकाइयों का पुनरुद्धार किया जा रहा है। इसका उद्देश्य यूरिया क्षेत्र में घरेलू स्तर पर उत्पादित यूरिया की उपलब्धता में वृद्धि करना है। केंद्र सरकार की ओर से हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड को बरौनी इकाई को पुनर्जीवित करने के लिए 8 हजार 387 रुपये के निवेश की स्वीकृति दी गई है। इस प्लांट की यूरिया उत्पादन क्षमता 12.7 एलएमटीपीए की होगी।
15 जून 2016 से एचयूआरएल अधिकृत एक संयुक्त उद्यम कंपनी है जिसे कोल इंडिया लिमिटेड, एनटीपीसी लिमिटेड, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और एफसीआईएल/एचएफसीएल के साथ मिलकर गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी इकाइयों को अनुमानित रूप से पुनर्जीवित करने के लिए अधिकृत किया गया है। केंद्र सरकार की ओर से इस कार्य के लिए 25 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।
एचयूआरएल के तीनों संयंत्रों की शुरुआत होने से देश में 38.1 एलएमटीपीए स्वदेशी यूरिया के उत्पादन में वृद्धि। साथ ही भारत को यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के प्रधानमंत्री के विजन को साकार करने में मदद मिलेगी। यह भारत की सबसे बड़ी उर्वरक निर्माण इकाइयों में से एक है जिसकी आधारशिला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रखी थी। यह परियोजना किसानों को उर्वरक की उपलब्धता में सुधार करने में मददगार होगी और देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के अतिरिक्त सड़कों, रेलवे, सहायक उद्योग आदि जैसे बुनियादी ढांचे के विकास के साथ अन्य क्षेत्र में अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगी।
एचयूआरएल संयंत्रों में डीसीएस, ईएसडी और पर्यावरण निगरानी प्रणाली आदि से लैस अत्याधुनिक ब्लास्ट प्रूफ कंट्रोल रूम जैसी कई विशेषताएं हैं। इसमें 65 मीटर लंबाई और 2 मीटर ऊंचाई वाला भारत का पहला एयर ऑपरेटेड बुलेट प्रूफ रबर डैम भी है। इन संयंत्रों में कोई बाहरी अपशिष्ट जल निपटान नहीं है। सिस्टम अत्यधिक प्रेरित, समर्पित, अच्छी तरह से प्रशिक्षित ऑपरेटरों द्वारा संचालित होते हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा राज्यों में यूरिया की मांग को पूरा करने के उद्देश्य से दुनिया की सर्वोत्तम तकनीकों को एकीकृत करती है।
यूरिया आपूर्ति के अतिरिक्त यह परियोजना विनिर्माण इकाई के आसपास लघु और मध्यम स्तर के उद्योगों को विकसित करने में भी मदद करेगी। हब के नजदीक बहुत सारी उद्यमिता गतिविधियां होंगी और इससे रोजगार सृजन में भी वृद्धि होगी। संयंत्रों के संचालन से यूरिया उर्वरक में देश को आत्मनिर्भर बनाने, आयात में कमी के कारण विदेशी मुद्रा की बचत और उर्वरक में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक निर्णायक होगा। एचयूआरएल का गोरखपुर संयंत्र दिसंबर, 2021 में पहले ही चालू हो चुका है और सिंदरी संयंत्र शीघ्र ही शुरू होने का अनुमान है।