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औरंगाबाद जिले में 23 करोड़ की लागत से इस जगह बनेगा रोपवे, 19 अक्टूबर से निर्माण कार्य।

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मगध के हिमालय नामक पहाड़ी पर रोप–वे के निर्माण में उत्पन्न समस्याओं का निवारण कर लिया गया है। 19 अक्टूबर से इस रोप–वे के निर्माण कार्य की शुरुआत होगी। इस रोप–वे के निर्माण के लिए 23 करोड़, 82 लाख, 47 हजार रुपये की मंजूरी दी गई है। रोप–वे के निर्माण की जिम्मेदारी राज्य पुल निर्माण निगम को सौंप दी गई है। दो एलाइनमेंट में इस रोप-वे का निर्माण किया जाएगा।

इसमें से पातालगंगा से पहले एलाइनमेंट की शुरुआत होगी जिसकी लंबाई 986.21 मीटर होगी। हथियाबोर से इसके दूसरे एलाइनमेंट की शुरुआत होगी जिसकी लंबाई 1196.624 मीटर होगी। ये दोनों एलाइनमेंट बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर के ठीक पहले वाली पहाड़ी पर एक स्थान पर मिल जाएंगे। रोपवे के निर्माण के पश्चात श्रद्धालुओं को बाबा सिद्धेश्वर नाथ के मंदिर तक पहुंचना आसान हो जाएगा। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

वर्ष 2015 में ही रोप-वे निर्माण प्रक्रिया की शुरुआत की गई थी परंतु विभिन्न बाधाओं की वजह से कार्य में देरी हुई है। इसका शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी द्वारा किया गया था। वहीं वन विभाग से एनओसी नहीं मिलने की वजह से निर्माण कार्य की शुरुआत नहीं हुई थी। काफी इंतजार के बाद अब लोगों का सपना आकार लेने वाला है। रोप-वे निर्माण को लेकर बराबर पहाड़ी इलाके में कई वृक्षों को काटना पड़ेगा।

निर्माण एजेंसी को वन विभाग से एनओसी की जरूरत थी। परंतु अधिक समय तक वन विभाग से मंजूरी नहीं मिलने की वजह से निर्माण कार्य की शुरुआत नहीं हुई थी। वहीं दो वर्षों तक कोरोना संक्रमण के वजह से इसकी शुरुआत नहीं हो पाई। बाबा सिद्धेश्वर नाथ के दर्शन-पूजन के लिए अभी श्रद्धालुओं को तीन किमी ऊंची पहाड़ी की चोटी पर चढ़ना होता है। इसकी वजह से बुजुर्ग श्रद्धालु बाबा का दर्शन नहीं कर पाते हैं। रोप-वे के निर्माण से सभी लोग आसानी से मंदिर तक पहुंच सकेंगे।

बराबर पहाड़ की चोटी पर स्थित बाबा सिद्धेश्वर नाथ की महिमा की चर्चा वेद पुराणों में भी वर्णित है। इस स्थान को प्रमुख शिवलिंग में से एक माना जाता है। इसी वजह से स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ अन्य लोग भी जलाभिषेक के लिए यहां पहुंचते हैं। ज्यादातर सावन के महीने में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ लगती है। बुद्ध सर्किट से इस स्थान के जुड़े रहने की वजह से बोधगया तथा राजगीर आने वाले विदेशी पर्यटक भी यहां आएंगे और रोप-वे का आनंद ले पाएंगे।

पर्यटकों को संख्या में वृद्धि होने से कई तरह के रोजगार सृजित होंगे जिससे स्थानीय लोगों को उसका लाभ मिलेगा। रोप-वे पर्यटकों को आकर्षित करेगी। बराबर पहाड़ की गुफाएं भी विश्व प्रसिद्ध हैं। इन गुफाओं में आज भी अशोक के शिलालेखों को देखा जा सकता है। यहां चार प्राचीनतम गुफाएं हैं। इसके अलावा बराबर पहाड़ की वादियां भी लोगों को आकर्षित करती हैं।

रोप–वे में तारों के द्वारा एक ट्रॉली में बैठकर बिजली से चलने वाला एक साधन, जो नीची जगह से ऊपर की तरफ जाता और आता है। रोप-वे में बैठने के लिए जगह होती है, जिसमें 10- 12 लोग आराम से बैठ सकते हैं। यह बिजली से चलती है और किलोमीटर के रास्ते को मात्र दो से पांच मिनट में पूरा कर लेती है।