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रघुवंश प्रसाद के तीखे तेवर के आगे राजद विवश!
पूर्व केंद्रीय मंत्री (Central Minister) व दिग्गज समाजवादी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह के तीखे तेवरों के आगे राजद ने सरेंडर कर दिया है. यानी आप कह सकते हैं कि बुजुर्ग हो चुके रघुवंश के आगे बाहुबली रामा सिंह की सारी कोशिशें बेकार चली गईं और राजद ने बाहुबली के लिए अपना दरवाजा बंद कर दिया. तेजस्वी यादव के द्वारा पूर्व सांसद रामा सिंह को RJD की सदस्यता दिलाने का फैसला किया गया था. इस पर प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द सिंह ने भी अपनी स्वीकृति दे दी थी लेकिन यह बात जैसे ही रघुवंश बाबू को पता चला तो उन्होंने अपना गुस्सा जाहिर कर दिया. फिर क्या था रामा को राजद मिलाने की कोशिश कामयाब होने से पहले ही फुस्स हो गई।
गौरतलब है कि रघुवंश बाबू कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद एम्स के कोविड-19 वार्ड में भर्ती करवाए गए थे. शुक्र है कि उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ चुकी है लेकिन इसी बीच नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बाहुबली रामा सिंह को राजद में शामिल करने का ऐलान किया था. हालांकि तेजस्वी यादव ने रामा सिंह के संबंध में जगदानंद सिंह से भी बात कर ली थी. लेकिन यह बात जैसे ही अस्पताल में भर्ती रघुवंश प्रसाद सिंह को पता चला तो उन्होंने इस पर अपना जबरदस्त विरोध जताया.
इतना ही नहीं रघुवंश बाबू ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देते हुए अपने तीखे तेवर से राजद के शीर्ष नेतृत्व को भी अवगत करा दिया यह मसला जैसे ही राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद तक पहुंचा तो उन्होंने जेल अस्पताल से भी फोन करके रघुवंश बाबू को समझाने की कोशिश की लेकिन रामा सिंह के मुद्दे पर रघुवंश के तेवर कहीं से भी ढीले नहीं हुए फिर क्या था लालू प्रसाद ने पार्टी में रामा सिंह को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया. उसके बाद बाहुबली रामा सिंह के लिए राजद का दरवाजा बंद कर दिया.
रामा सिंह को एक हफ्ते करना होगा इंतजार
इस संबंध में पूर्व सांसद रामा सिंह ने बताया है कि राजद नेतृत्व ने उन्हें 1 हफ्ते का इंतजार करने को कहा है. वहीं दूसरी तरफ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का कहना है कि रघुवंश बाबू ने राजद को बड़ा किया है , हम सब को उनके स्वास्थ्य की चिंता है जब अस्पताल से आएंगे तो सारे मुद्दों पर बात की जाएगी.
गौरतलब है कि रामा सिंह ने 2014 के आम चुनाव में वैशाली लोकसभा क्षेत्र से रघुवंश बाबू को करारी शिकस्त दी थी. उस समय रामा सिंह लोजपा की तरफ से उम्मीदवार थे. बताया जाता है कि लोजपा नेतृत्व से लगातार अनबन नाराज होने की वजह से लगातार राजद में शामिल होने के लिए प्रयासरत थे और इसी के तहत 16 जून को तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी. जहां तेजस्वी यादव भरोसा दिलाया था कि 29 जून को उन्हें राजद में शामिल कर लिया जाएगा लेकिन यह बात जैसे ही रघुवंश बाबू को पता चला तो उन्होंने अपना तीव्र विरोध जताते हुए पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया